Sunday, December 26, 2010

शेरिंग ऑटो का सफ़र

*** मैं करीब तीन साल तीन महीने बाद शेरिंग ऑटो में बेठा तो इनमे  बिताये पुराने सफ़र के कुछ अनुभव याद आ गए जिनको मैं नीचे लिख रहा हूँ.***
 
शेरिंग ऑटो का सफ़र,
छोड़ता हर किसी के मन पे अपना असर.
 
इसके  सफ़र का अनुभव,
हे अपने आप में एक अनोखा अनुभव.
 
इसमें बेठ कर मज़ा आता हें खाने में हवा,
पर जब ड्राईवर पीछे खड़े होने को कह दे तो हो जाती हें ख़राब हवा.
 
इस ऑटो में सफ़र की क्या बात हो,
जब हिमेश रेशमियां के गानों के साथ आपके सफ़र की शुरुवात हो.
 
ऑटो एक पहिये पे चार लोग आधारित हैं,
तभी तो कुल मिलकर तीन पहियों पे बारह लोग सवार हैं.
 
अपना हाथ दिखायें ऑटो ज़रूर रुक जायेगा,
जगह हो या न हो पर आपको ज़रूर ले जायेगा.
 
ऑटो में ठूंस ठूंस कर बेठ्तें हें सब,
फिर भी मोबाइल फ़ोन जेब से निकलने की जद्दो जेहत करते हें सब.
 
कहीं बच्चों की चिल्लम चिल्ली,
तो कहीं ट्राफ्फिक के होर्न की पी पाँ पीपी.
 
कहीं नैन मटक्का,
तो कभी  बगल में बेठे पेसेंज़र से धक्का.
 
कहीं इंडियन पोलिटिक्स / क्रिकेट टीम पे फंडे ,
तो कभी ऑटो रिकक्षा ड्राईवर से पैसो को लेकर पंगे.
 
कभी बगल से जा रही गाडी से ड्राईवर को गाली,
तो कभी सबसे पीछे बेठे पस्सेंगेर ने को ऑटो रोकने के लिए तीन चार बार आवाज़ मारी.
 
कभी सामने वाले के पेरों में अपने पेर फसां कर बेठना,
तो कभी किसी आंटी का ज़बरदस्ती अपने बच्चे को आपके पेरों पे बिठाना.
 
यह ड्राईवर भी अजीब कमाल करते हैं,
सीट खाली  हो तो आपको पीछे बिठाते हैं और अगर कोई मैडम आ जाये तो आपको आगे आधा बहार और आधा अन्दर बेठने को बुलाते हैं.
 
ड्राईवर का बोलने का मिजाज़ भी अलग हे,
हमको भैया और लड़की को मैडम का अंदाज़ ही अलग हैं.
 
हमने क्या इज्ज़त कहीं बेच खायी हें,
क्या सिर्फ लड़कियों ने ही ऑटो में इज्ज़त पायी हें.
 
भैया तो बात ऐसी हें,
इन शेरिंग ऑटो में सफ़र करना हें निराला,
आपको जल्दी न हो तो टाइम पास करने को इसमें ज़रूर जाना.
नोट: ऊपर लिखी पंक्तियों को हिंदी में लिखने के लिए गूगल transliteration का प्रयोग किया गया हें.